सीएए यानी नागरिक संशोधन कानून के विरोध में साल 2019 में देश भर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे. कथित तौर पर इस प्रदर्शन में शामिल हुए लोगों के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार ने वसूली नोटिस जारी किया था. भेजे गए नोटिस के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने आखिरी मौका देते हुए कहा कि सरकार वसूली से संबंधित कार्रवाई को वापस लें और साथ ही चेतावनी देते हुए कहा कि अगर कार्रवाई नहीं वापस की गई तो हम कार्रवाई को खारिज कर देंगे.
सुप्रीम कोर्ट में यूपी में हुए सीएए विरोधी आंदोलन के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों के नुकसान की भरपाई के लिए प्रदर्शनकारियों को भेजे गए नोटिस को रद्द करने की मांग करने वाले याचिका पर सुनवाई हो रही थी. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘दिसंबर 2019 में शुरू की गई कार्यवाही सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून के विपरीत थी, इसे बरकरार नहीं रखा जा सकता. अगर यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट की बात नहीं मानती है तो नतीजे के लिए तैयार रहें. हम आपको बताएंगे कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश कैसे पालन किए जाते हैं.’ अब इस मामले में अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी.

यूपी सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने कहा कि राज्य में 833 दंगाइयों के खिलाफ 106 FIR दर्ज की गईं और उनके खिलाफ 274 वसूली नोटिस जारी किए गए. 274 नोटिसों में से, 236 में वसूली के आदेश पारित किए गए थे, जबकि 38 मामले बंद कर दिए गए थे. इन नोटिस के विरोध में दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि यूपी सरकार द्वारा भेजे गए नोटिस मनमाने तरीके से भेजे गए हैं. ये याचिका परवेज आरिफ टीटू की ओर से दायर की गई है.
सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हम आपको 18 फरवरी तक आखिरी बार मौका दे रहे हैं. अगर कार्रवाई वापस नहीं की गई तो हम कार्रवाई को खारिज कर देंगे, क्योंकि यह नियम के खिलाफ है.