Bachho Ke Kanuni Adhikaar : बच्चों के यह क़ानूनी अधिकार समस्त माता पिता को जरूर पता होना चाहिए

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Bachho ke Kanuni Adhikar :- हमारे देश में वैसे तो सभी व्यक्तियों को समान अधिकार दिया गया है लेकिन बच्चों को लेकर कुछ विशेष अधिकार दिये गये है , वैसे तो बच्चों के अधिकार और कानून की बात तो आज हर कोई व्यक्ति करता है लेकिन यह कानून क्या हैं इसकी जानकारी सभी व्यक्तियों को नहीं होती है आईए जानते हैं कि Bachho ke Kanuni Adhikar कौन-कौन से हैं।

अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार 18 वर्ष के से कम उम्र के व्यक्ति को बच्चों की श्रेणी दी गई है इस विशेष परिभाषा को पूरे विश्व में मंजूरी मिल गई है यह कन्वेंशन एक अंतरराष्ट्रीय कानून है इस कानून पर ज्यादातर देश अपनी सहमति प्रदान कर चुके हैं।

Bachho Ke Kanuni Adhikaar
Bachho Ke Kanuni Adhikaar

Bachha Koun Hai (बच्चा कौन है ) 

भारत में 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों को एक अलग कानूनी इकाई के रूप में देखा गया है।  इसी कारण हम 18 साल से पहले के पहले वोट नहीं डाल सकते और हमे ना कोई कानूनी अनुबंध प्राप्त है ऐसे कानून में भी (UNCRC) यूएनसीआरसी की परिभाषा को समावेश किया जाना चाहिए 1992 में यूएनसीआरसी (UNCRC)का अनुसमर्थन करने के बाद भारत सरकार ने अपने बाल न्याय कानून को कानून में बदलाव किया है।

बाल विवाह रोकथाम कानून 2006 के तहत 18 साल से कम उम्र की लड़की और 21 साल से कम उम्र के लड़के की शादी गैरकानूनी बताई गई है।18 साल से कम उम्र के ऐसे हर बच्चे को सरकार की तरफ से देखभाल और सुरक्षा प्रदान की गई है।

Bachho ke Adhikar Kya Hai  ( बच्चों के अधिकार क्या होते हैं)

हमारे देश में 18 वर्ष से कम उम्र के सभी व्यक्ति बच्चों की श्रेणी में आते हैं और इन सभी बच्चों के लिए हमारे देश के कानून और हमारी सरकार द्वारा स्वीकृत अंतराष्ट्रीय कानून में दी गई है बच्चों के लिए सुविधाएं और अधिकार हर एक बच्चे को प्राप्त होना चाहिए।

Free Shiksha Adhiniyam 2002(मुफ्त शिक्षा अधिनियम 2002) 

68 वे संशोधन अधिनियम 2002 के द्वारा भारतीय संविधान में अनुच्छेद 21 ए) को मौलिक अधिकार में शामिल किया गया है इसके तहत 6 से 14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त शिक्षा का अधिकार है।

शिक्षा का अर्थ है कि सरकारी और स्थानीय अधिकारियों का यह उत्तरदायित्व है कि इस  6 से 14 आयु वर्ग के सभी बच्चों को नि:शुल्क प्राथमिक शिक्षा प्राप्त हो तथा प्रवेश उपस्थिति और प्राथमिक शिक्षा की पूर्णता सुनिश्चित हो बच्चों को दबाव तथा चिंता से मुक्त शिक्षा का अधिकार  बच्चों के लिए है।

इसे जरूर पढ़े… महिलाओ के क़ानूनी अधिकार

Bal Vivah Nishedh Adhiniyam 2006  (बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006) 

यूनिसेफ द्वारा शादी के लिए लड़कियों की उम्र 18 वर्ष और लड़कों की उम्र 21 वर्ष होना चाहिए  भारत में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 को 1 नवंबर 2007 में लागू किया गया था। इस अधिनियम का उद्देश्य बाल विवाह तथा उससे  जुड़े हुए मामलों को रोकना है.भारत सरकार ने बाल विवाह अवरोध अधिनियम 1929 के स्थान पर बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 अधिनियमित किया यह नया अधिनियम बाल विवाह के निषेध पीड़ित को सुरक्षा तथा राहत प्रदान करने एवं बाल विवाह को उकसाने बढ़ावा देने तथा देने वालों के लिए सजा को बढ़ाने का प्रावधान किया इस अधिनियम में संपूर्ण राज्य या राज्य के एक भाग के लिए बाल विवाह निषेध अधिकारी नियुक्ति का प्रावधान है ।

Bachho Ke Kanuni Adhikaar
Bachho Ke Kanuni Adhikaar

Bal Sharm Nishedh Adhiniyam 2016 (बाल श्रम निषेध अधिनियम 2016

बाल श्रम निषेध एवं नियमन संशोधन अधिनियम 1986 वें 14 वर्ष से कम वर्षों के बच्चों के रोजगार को कानून द्वारा निर्मित सूची में बताये गए हैं

  • खतरनाक व्यावसायिक पर प्रतिबंध करता है।
  • गैर खतरनाक व्यवसाय में उनका सेवाओं के लिए नियम निर्धारण करता है।
  • इसके उद्देश्य 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के रोजगार प्रतिबंधित करना।
  • प्रतिबंधित व्यवसाय के अनुसूची और कानूनी कार्यवाही में प्रतिबंधन हेतु कार्य प्रणाली का निर्धारण करना।
  • बच्चों को सेवा शर्तों का नियमन बच्चों के बच्चों के रोजगार में अधिनियम तथा अन्य अधिनियम जो कि बच्चों के रोजगार को निषेधित करते हैं।
  • प्रावधानों में उलझन हेतु दंड का निर्धारण करना
  • संबंधित कानून में बच्चों की परिभाषा में एकरूपता लाना।
  • बाल श्रम निषेध एवं नियमन संशोधन अधिनियम 2016 ने किशोर श्रम को प्रस्तुत किया।
  • 14 से 18 वर्ष की आयु का व्यक्ति किशोर के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • अधिनियम खतरनाक व्यवसाय को छोड़कर किशोर को कार्य की अनुमति देता है।

Bal Taskari Adhiniyam 2012  (बाल तस्करी अधिनियम 2012) 

यूनिसेफ के अनुसार 18 साल से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति को किसी देश के भीतर या बाहर शोषण के उद्देश्य से भारतीय परिवहन स्थानांतरित या आश्रय प्रदान किया जाता है तो यह बाल तस्करी के अपराध के अंतर्गत आता है इस अपराध को दंडनीय किया गया है।

Kishor Nyay Adhiniyam 2002 (किशोर न्याय अधिनियम 2002)

किशोर न्याय की देखभाल बच्चों की देखभाल संरक्षण और संरक्षण अधिनियम 2000 भारत में किशोरी के न्याय के लिए प्राथमिक कानूनी ढांचा है इस अधिनियम को 2006 और 2010 में संशोधित किया गया है 2015 में जन भावना को देखते हुए भारतीय संसद के दोनों संसाधनों द्वारा इस बिल में संशोधित किया गया है और किशोर की अधिकतम उम्र को घटकर 16 वर्ष कर दिया गया है किशोर न्याय बच्चों की देखरेख व संरक्षण अधिनियम 2015  बच्चों को चाहे वह आरोपी हो या कानूनी अपराधी पाए गए हो या ऐसे बच्चे हो जिन्हें देखभाल तथा संरक्षण की जरूरत है

सभी के लिए समुचित देखभाल संरक्षण विकास उनकी मूलभूत आवश्यकता को पूरा करके न्यायिक निर्णय में बाल केंद्रित दृष्टिकोण को अपना कर और बच्चों के सर्वोत्तम हित में मामलों है कानूनी कार्रवाई और बाल अनुकूल दृष्टिकोण अपनाने वाले स्थापित संस्थाओं और निकायों द्वारा पुनर्वास हेतु एक मजबूत कानूनी ढांचा तैयार करता है।

बच्चों की देखभाल संरक्षण और संरक्षण अधिनियम 2000 भारत में किशोरी के न्याय के लिए प्राथमिक कानूनी ढांचा है इस अधिनियम को 2006 और 2010 में संशोधित किया गया है 2015 में जन भावना को देखते हुए भारतीय संसद के दोनों संसाधनों द्वारा इस बिल में संशोधित किया गया है और किशोर की अधिकतम उम्र को घटकर 16 वर्ष कर दिया गया है

Bachho Ke Kanuni Adhikaar
Bachho Ke Kanuni Adhikaar

Bal Yoan Utapidhan Adhiniyam 2012 ( बाल यौन उत्पीड़न अधिनियम 2012) 

बाल यौन उत्पीड़न अधिनियम 2012 या पोक्सो एक्ट  का मुख्य उद्देश्य 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को विभिन्न यौन संबंधित अपराधों से बचाना है तुरंत फैसले के लिए विशेष अदालत का गठन करना है ताकि यौन अपराधियों को सख्त से सख्त सजा मिल सके।

भारत में 53% बच्चे किसी न किसी रूप में बाल शोषण का सामना करते हैं अतः भारत में इस अधिनियम को पुरुष और महिला दोनों के लिए लागू किया गया है पोर्नोग्राफी के संबंध में यह कानून बच्चों के सामने या बच्चों को शामिल करने वाली पॉर्नोग्राफिक सामग्री को देखने या संग्रह करने को अपराध माना गया है या अधिनियम बाल एवं दुर्व्यवहार को दंडित बनता है।

Divyangajan Adhikar Adhiniyam 2016  (दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016) 

दिव्यांग जो अधिकार आरपीडब्ल्यूडी (RPWUD) अधिनियम सन् 2016 में अधिनियम पारित किया गया इस समानता के अधिकार गरिमा के साथ जीवन तथा जीवन के शैक्षिक, सामाजिक, विधिक ,आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक आदि सभी पक्षों में अन्य व्यक्तियों के साथ पूरी समानता के लिए सम्मान को बढ़ावा देता है ।                  यह अधिनियम दिव्यांग बच्चों के लिए के विभिन्न प्रकार के अधिकारों का वर्णन है सरकारों को ऐसे बच्चों की शिक्षा कौशल, विकास ,रोजगार, सामाजिक ,सुरक्षा, स्वास्थ्य पुनर्वास और मनोरंजन के लिए दिशा  निर्देश करती है

इस अधिनियम में दिव्यंगिका के प्रकार के साथ विकलांगित अधिनियम 1995 से बढाकर 21 कर दिया गया है अतिरिक्त लाभ जैसे उच्च शिक्षा, (पांच प्रतिशत से कम ना हो) तथा सरकारी नौकरियां (चार प्रतिशत से कम ना हो) में आरक्षण को भी शामिल किया गया है।

Bachcho ke liye baal rastriy karya yojana 2016 (बच्चों के लिए बाल राष्ट्रीय कार्य योजना 2016) 

बच्चों के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना 2016 सभी बच्चों के लिए समान अवसर और उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए प्रतिबंध है एनपीएस (NPS) ने विभिन्न अनुभवों को शासन के स्तरों में सम्मिलित तथा समन्वय हेतु बच्चों के लिए राष्ट्रीय नीति 2013 में उल्लेखित  किया है प्राथमिक क्षेत्र जीवन जीने स्वास्थ्य और पोषण शिक्षा एवं विकास संरक्षण तथा सहभागिता के अंतर्गत रणनीतियों और कार्य बिंदुओं के रूप में उद्देश्य तय किए हैं और योजना तैयार की है यह योजना बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान देने के लिए व्यापक है

असुरक्षित बच्चों में सामाजिक आर्थिक एवं अन्य वंचित समूहो के बच्चे, दिव्यांग बच्चों, गली में घूमने वाले बेघर बच्चे, बाल मजदूर खान व दोष खानाबदोश बच्चे तस्करी से ले गए बच्चे कानून रूप से अपराधी बच्चे प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदाओं से प्रभावित या स्थानांतरित बच्चे और जलवायु परिस्थितियों नागरिक अशांति पारिवारिक सहयोग से रहित या संसाधनों के बच्चे और एड्स कुष्ठ आदि से पीड़ित बच्चे शामिल है।

Integrated Child Protection Scheme 2009 ( एकीकृत बाल संरक्षण योजना 2009 )  

एकीकृत बाल संरक्षण योजना आईसीपीएस 2009 में प्रारंभ की गई केंद्र प्रायोजित योजना है इसका उद्देश्य कठिन परिस्थितियों में रहने वाले बच्चे तथा सुरक्षित बच्चों के लिए रक्षात्मक वातावरण, सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करना है आईपीएस मंत्रालय की विभिन्न मौजूद बाल संरक्षण योजना को एक साथ लाता है बच्चों की सुरक्षा एवं हानियों को रोकने के लिए अतिरिक्त हस्तक्षेप को समाहित करता है पारिवारिक और सामुदायिक स्तर पर बाल संरक्षण को मजबूती प्रदान करता है कार्यक्रमों और योजनाओं का नियमित मूल्यांकन किया जाता है तथा कार्य प्रणाली में सुधार किया जाता है।

पूर्व – गर्भधारण गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम 1994

पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निधन तकनीक अधिनियम 1994 देश में कन्या भ्रूण हत्या को रोकने तथा घटते लिंगानुपात को नियंत्रित करने के लिए पारित किया गया है लिंगानुपात की जांच को नियंत्रित करने के लिए जारी किया  यह अधिनियम गर्भाधान से पूर्व तथा बाद में लिंग चयन की तकनीक को प्रयोग को प्रतिबंधित करता है यह अधिनियम पूर्व गर्भधारण और प्रसव पूर्व लिंक निर्धारण से संबंधित विज्ञापनों पर भी प्रतिबंध लगाता है इससे प्रशिक्षण संवेदनशीलता तथा जागरूकता प्रसव द्वारा मानसिकता बदलने पर विशेष जोर दिया है।

Bachho Ke Kanuni Adhikaar
Bachho Ke Kanuni Adhikaar

Beti Bachao Beti Pdhao Yojana 2015 बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना 2015

2015 में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का शुभारंभ किया असंतुलित एवं बालीका शिशु के प्रति भेदभाव को दूर करने के लिए किया गया था लिंग पर आधारित बालिका शिशु के जीवित रहने तथा सुरक्षा को सुनिश्चित करना और बालिका शिशु की शिक्षा एवं सहभागिता को सुनिश्चित करना इस योजना के उद्देश्य हैं यह प्रशिक्षण संवेदनाशील तथा जागरूकता उत्पन्न करके लोगो कि मानसिकता बदलने पर जोर दिया गया है । यह योजना सभी राज्यों तथा केंद्र शासित क्षेत्रों को सम्मानित करते हुए एक राष्ट्रीय अभियान और महिलाएं एवं बाल विकास मंत्रालय स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय का संयुक्त  प्रयास है।

FAQ:-

Question:-  बाल अधिकार कितने प्रकार के होते हैं?

Answer:- बाल अधिकार ,शिक्षा का अधिकार ,खेलकूद, मनोरंजन, सांस्कृतिक गतिविधियां सूचना प्राप्त करना विचारों की चेतना और धर्म के स्वतंत्रता शामिल है।

Question:- बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी गई है?

Answer:- 68 वे संविधान संशोधन अधिनियम 2002 के द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 ए को मौलिक अधिकार में शामिल किया गया है इसमें 6 से 14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त शिक्षा का अधिकार है।

Question:- हमारे देश में दिव्यांग बच्चों के लिए कोई कानून है?

Answer:- हमारे देश में दिव्यांग बच्चों को आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 में दिव्यांग बच्चों के अधिकार को बताया गया है शैक्षिक ,सामाजिक ,विधिक, आर्थिक, राजनीतिक सभी में समानता दी गई है।

Question:- बच्चे क्या गर्भ प्रसव पूर्व निदान करना कानून अपराध है?

Answer:- पूर्व गर्भधारण पूर्व प्रसव पूर्व निदान तकनीकी तकनीक अधिनियम 1994 देश में कन्या भ्रूण हत्या रोकने तथा घटते हुए लिंगानुपात को नियंत्रित करने के लिए पारित किया गया है।

Question:- गर्भ में लिंग की जांच क्या करना अपराध है?

Answer:- हमारे देश में गर्भधारण से पूर्व तथा बाद में लिंग चयन की तकनीकी के प्रयोग को प्रतिबंधित करता है।

Question:- बाल अधिकार किसे कहते हैं?

Answer:- 18 साल से कम उम्र के सभी बच्चों को हमारे देश के कानून और हमारी सरकार द्वारा स्वीकृत अंतराष्ट्रीय कानून में दी गई सुविधा और अधिकार मिलने चाहिए है।

Question:- 4 मूल बाल अधिकार क्या है

Answer:- प्रत्येक बच्चे को जीवन उत्तर जीवन एवं विकास का जन्मदाता अधिकार है इसके अंतर्गत बच्चों की सुरक्षा उनके स्वास्थ्य एवं उनकी शिक्षा का अधिकार सम्मिलित है।

Question:- भारत में कितने बाल अधिकार है?

Answer:- भारत में 54 धाराएं हैं जिसमें बाल अधिकारों के चार मुख्य अधिकार जीवन का अधिकार, विकास का अधिकार ,संरक्षण का अधिकार व भारत में रहने का अधिकार है?

निष्कर्ष:-

इस लेख में हमने Bachho Ke Kanuni Adhikaar का वर्णन किया है ताकि कई व्यक्तियों को बाल अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं होती है और वह इन अधिकारों का उपयोग वह नहीं कर पाते हैं इस लेख में अगर कोई त्रुटि हुई हो तो कमेंट करके जरूर बताएं।

धन्यवाद!

यह भी पढ़े… सरकारी वकील कैसे बने  

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Leave a Comment